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धूप देय अरु जपै हमेशा, ताके तन नहिं रहै कलेशा ।ॐ आञ्जनेयाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि। तन्नो हनुमत् प्रचोदयात्॥ हनुमान गायत्री मंत्�
धूप देय अरु जपै हमेशा, ताके तन नहिं रहै कलेशा ।ॐ आञ्जनेयाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि। तन्नो हनुमत् प्रचोदयात्॥ हनुमान गायत्री मंत्�